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नारियल व नारियल पानी के गुण

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नारियल व नारियल पानी के गुण नारियल  का पेड़  नारियल एक बहुवर्षी एवं एकबीजपत्री पौधा है। इसका तना लम्बा तथा शाखा रहित होता है। मुख्य तने के ऊपरी सिरे पर लम्बी पत्तियों का मुकुट होता है। ये वृक्ष समुद्र के किनारे या नमकीन जगह पर पाये जाते हैं। इसके फल हिन्दु | हिन्दुओं के धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त होता है। बांग्ला में इसे नारिकेल कहते हैं। नारियल के वृक्ष भारत में प्रमुख रूप से केरल,पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में खूब उगते हैं। महाराष्ट्र में मुंबई तथा तटीय क्षेत्रों व गोआ में भी इसकी उपज होती है। नारियल एक बेहद उपयोगी फल है। नारियल देर से पचने वाला, मूत्राशय शोधक, ग्राही, पुष्टिकारक, बलवर्धक, रक्तविकार नाशक, दाहशामक तथा वात-पित्त नाशक है। नारियल पानी    नारियल पानी हल्का, प्यास बुझाने वाला, अग्निप्रदीपक, वीर्यवर्धक तथा मूत्र संस्थान के लिए बहुत उपयोगी होता है।  गर्मियों में नारियल पानी के सेवन से, आपको दिव्य आनंद प्राप्त होगा। यह केवल आपको ताजगी ही नहीं, बल्कि इस में कई सारे स्वास्थवर्धक गुण भी छुपे हैं। नारियल पानी में विटामिन, मिनरल, इलेक्ट्रोलाइट्स, एंजाइमस्, एमिनो एसिड और साइटोकाइन

वृक्ष और वास्तु

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मानव का प्रकृति , वृक्षों और पौधों के साथ सदियों से अटूट रिश्ता रहा है। वृक्ष , मानव जीवन का आधार है। केवल बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने में ही नहीं , बल्कि जलवायु एवं वातावरण के संतुलन में भी वृक्षों का योगदान सर्वोपरि है। वृक्षों से हमें फल , फूल , औषधि और लकड़ी आदि तो मिलता ही है , साथ ही घर और अपने आसपास पेड़ - पौधे लगाना मनुष्य का धर्म है। बागवानी का गृह - विन्यास और नगर - विन्यास से अटूट नाता है। हमारे ऋषि - मुनियों द्वारा इससे संबंधित व्याख्या ज्योतिष और वास्तु संबंधी ग्रंथों में विस्तार से की गई है।ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार , हमारे सौरमंडल के विभिन्न ग्रहों का अलग - अलग प्रकार के वृक्षों पर आधिपत्य है। जो वृक्ष ऊंचे और मज़बूत तथा कठोर तने वाले ( शीशम इत्यादि ) हैं , उनपर सूर्य का विशेष अधिकार होता है। दूध वाले वृक्षों ( देवदार इत्यादि ) पर चंद्र का प्रभाव होता है। लता , वल्ली इत्यादि पर चंद्र और शुक्र का अधिकार होता है। झाड़ियों वाले पौधों