वृक्ष और वास्तु

मानव का प्रकृति,वृक्षों और पौधों के साथ सदियों से अटूट रिश्ता रहा है। वृक्ष, मानव जीवन का आधार है। केवल बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने में ही नहीं, बल्कि जलवायु एवं वातावरण के संतुलन में भी वृक्षों का योगदान सर्वोपरि है। वृक्षों से हमें फल, फूल, औषधि और लकड़ी आदि तो मिलता ही है, साथ ही घर और अपने आसपास पेड़-पौधे लगाना मनुष्य का धर्म है।9 Types of Roots Found on Trees, Plants and Flowers

बागवानी का गृह-विन्यास और नगर-विन्यास से अटूट नाता है। हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा इससे संबंधित व्याख्या ज्योतिष और वास्तु संबंधी ग्रंथों में विस्तार से की गई है।ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, हमारे सौरमंडल के विभिन्न ग्रहों का अलग-अलग प्रकार के वृक्षों पर आधिपत्य है। जो वृक्ष ऊंचे और मज़बूत तथा कठोर तने वाले (शीशम इत्यादि) हैं, उनपर सूर्य का विशेष अधिकार होता है। दूध वाले वृक्षों (देवदार इत्यादि) पर चंद्र का प्रभाव होता है। लता, वल्ली इत्यादि पर चंद्र और शुक्र का अधिकार होता है। झाड़ियों वाले पौधों पर राहू और केतू काविशेष अधिकार है। जिन वृक्षों में रस विशेष हो, कमज़ोर, देखने में अप्रिय और सूखे वृक्षों पर शनि का अधिकार है।How do trees change the climate? « RealClimate 

सभी फलदार वृक्ष बृहस्पति के वर्ग में, बिना फल के वृक्षों पर बुध का और फल, पुष्प वाले चिकने वृक्षों पर शुक्र का अधिकार है। औषधीय जड़ी बूटियों का स्वामीचन्द्रमा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में किसी ग्रह के अधीन आने वाले वनस्पतियों और औषधियों से ही उस ग्रह-जनक रोग का उपचार किया जाता है।उदाहरण के लिए बुध हमारी याद्दाश्त का कारक है और ब्राह्री बूटी जो बुध के आधिपत्य में है उसका इस्तेमाल याद्दाश्त वाली दवाई के रूप में किया जाता है।

ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए मंत्रपाठ, हवन, ध्यान और उपाय संबंधी रत्नों का उपयोग किया जाता है। इन सभी के अत्यधिक मूल्यवान होने से कई बार ये सभी सामान्य जन की पहुंच से दूर होते हैं। ऐसे में कुछ पौधों की जड़ों का इस्तेमाल रत्नों के विकल्प के रूप में किया जाता है। वास्तुशास्त्र के ग्रंथों के अनुसार, पाकड़ का वृक्ष दक्षिण में, बड़ पश्चिम में, गूलर उत्तर में और पीपल पूर्व में हो, तो यह अशुभ है।

इसके विपरीत उत्तर में पाकड़, पूर्व में बड़, दक्षिण में गूलर और पश्चिम में पीपल शुभ है। गृह के समीप कांटेदार वृक्ष (बबूल आदि)होने से शत्रुभय, दूध वाले वृक्ष (आक, कटैली आदि) से धननाश और फलदार वृक्ष संतान के लिए हानिकारक होते हैं। इन वृक्षों को घरके पास नहीं लगाना चाहिए और उनकी लकड़ी भी घर में प्रयोग करें। यदि इन वृक्षों को हटाना किसी कारण संभव हो, तो इनके बीच में शुभदायक वृक्ष जैसे नागकेसर, अशोक, अरिष्ट, कटहल, शमी जैसे कोई वृक्ष लगा देने से दोष निवृत हो जाता है।

                                       Soil Types for Plants and Trees - Al's Tree Service

घर के पूर्व, उत्तर-पश्चिम या ईशान कोण में वाटिका या तालाब बनवाने से अत्यंत शुभ होता है। ईशान कोण की वाटिका में हल्के फूलों वाले पौधे, बेल और लताएं और औषधीय गुणों वाले पौधे जैसे तुलसी, आंवला इत्यादि लगाए जाने चाहिए। घर के आसपास नीम, अनार, अशोक, नारियल, सुपारी और घर के भीतर तुलसी, गुलाब, चंदन, मोगरा, चमेली और अंगूर के पौधे शुभ होते हैं। मकान से कुछ दूरी पर ईशान में आंवला, नैऋत्य में इमली, आग्नेय में अनार, उत्तर में कैथ पाकड़, दक्षिण में गुलाब और पश्चिम में पीपल लगाना चाहिए।

हमारे शस्त्रों में वृक्षों की महत्ता और उपयोगिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता।

वृक्ष वास्तु अपनाने के टिप्स 

गलत दिशा में लगे पेड़ पौधे करते हैं ...

        पौधारोपण उत्तरा,स्वाति,हस्त,रोहिणी एवं मूल नक्षत्रों में करना चाहिए.ऎसा करने पर रोपण                 निष्फल नहीं होता

        घर के पूर्व में बरगद, पश्चिम में पीपल, उत्तर में पाकड़ और दक्षिण में गूलर का वृक्ष शुभ होता            है किंतु ये घर की सीमा में नहीं होना चाहिए

        घर के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र में कम ऊंचाई के पौधे लगाने चाहिए

        घर के दक्षिण एवं पश्चिम क्षेत्र में ऊंचे वृक्ष (नारियल,अशोकादि) लगाने चाहिए.ये शुभ होते हैं

        जिस घर की सीमा में निगुण्डी का पौधा होता है वहां गृह कलह नहीं होता

        जिस घर में एक बिल्ब का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है

       जिस व्यक्ति को उत्तम संतान एवं सुख देने वाले पुत्र की कामना हो,उसे पलाश का पेड़ लगाना           चाहिए। यह आवासीय घर की सीमा में नहीं होना चाहिए

        घर के द्वार और चौखट में भूलकर भी आम और बबूल की लकड़ी का उपयोग करें

        कोई भी पौधा घर के मुख्य द्वार के सामने रोपें.द्वार भेद होता है इससे बच्चे का स्वास्थ्य                  खराब रहता है

        तुलसी का पौधा घर की सीमा में शुभ होता है। 

        बांस का पौधा रोपना अशुभ होता है

        वृक्षों की छाया प्रात: 9 बजे से दोपहर 3 बजे के मध्य भवन की छत पर नहीं पड़नी चाहिए

       जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए.इससे बच्चों            का स्वास्थ्य खराब होता है

      वृक्ष के पत्ते, डंडे आदि को तोड़ने पर दूध निकलता हो तो इन्हें दूध वाले वृक्ष कहलाते हैं.ऎसे            पेड़ स्थापित करने से धन हानि के योग बनते हैं. इनमें महुआ,बरगद,पीपल आदि प्रमुख हैं               केवड़ा,चंपा के पौधों को अपवाद माना गया है

     बैर,पाकड़,बबूल ,गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं.इनमें जति और                   गुलाब (rose) अपवाद हैं. घर में कैकट्स के पौधे नहीं लगाएं

        पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा तथा काँटेदार वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली ये सभी घर के                  समीप निंदित कहे गए हैं।

        भवन निर्माण के पहले यह भी देख लेना चाहिए कि भूमि पर वृक्ष, लता, पौधे, झाड़ी, घास,               कांटेदार वृक्ष आदि नहीं हों।

        जिस भूमि पर पपीता, आंवला, अमरूद, अनार, पलाश आदि के वृक्ष बहुत हों वह भूमि,                 वास्तुशास्त्र में बहुत श्रेष्ठ बताई गई है।

       जिन वृक्षों पर फूल आते रहते हैं और लता एवं वनस्पतियां सरलता से वृद्धि करती हैं इस प्रकार          की भूमि भी वास्तुशास्त्र में उत्तम बताई गई है।

       जिस भूमि पर कंटीले वृक्ष, सूखी घास, बैर आदि वृक्ष उत्पन्न होते हैं। वह भूमि वास्तु में निषेध             बताई गई है। जो व्यक्ति अपने भवन में सुखी रहना चाहते हैं उन्हें कभी भी उस भूमि पर                 निर्माण नहीं करना चाहिए,जहां पीपल या बड़ का पेड़ हो।

        सीताफल के वृक्ष वाले स्थान पर भी या उसके आसपास भी भवन नहीं बनाना चाहिए। इसे भी           वास्तुशास्त्र ने उचित नहीं माना है, क्योंकि सीताफल के वृक्ष पर हमेशा जहरीले जीव-जंतु                 का वास होता है।


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