बरगद

बरगद का पेड़ 

बरगद की पूजा का क्या है विशेष महत्व ...
बरगद (Banyan) भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। इसे 'बर', 'बटया 'वटभी कहते हैं। बरगद 'मोरेसीया 'शहतूतकुल का पेड़ है। इसका वैज्ञानिक नाम 'फ़ाइकस वेनगैलेंसिस (Ficus bengalensis) और अंग्रेज़ी नाम 'बनियन ट्रीहै। हमारे हिंदू धर्म में इस वृक्ष को पूजनीय मानते हैं। मान्यता है के इसके दर्शन स्पर्श तथा सेवा करने से पाप दूर होता है तथा दु: और व्याधि नष्ट होती है। अतइस वृक्ष के रोपण और ग्रीष्म काल में इसकी जड़ में पानी देने से पुण्य संचय होता हैऐसा माना जाता है। उत्तर से दक्षिण तक समस्त भारत में वट वृक्ष उत्पन्न होते देखा जाता है। इसकी शाखाओं से बरोह निकलकर ज़मीन पर पहुंचकर स्तंभ का रूप ले लेती हैं। इससे पेड़ का विस्तार बहुत ज़ल्द बढ़ जाता है। बरगद के पेड़ को मघा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है। मघा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति बरगद की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने घर में बरगद के पेड़ को लगाते है।
हमारे धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।  यह कफ पित्त नाशक,रक्त शोधकगर्भाशय शोधक और शोथहर है। 
बरगद के पेड़ के फायदे - Banyan (Bargad) Tree ...

भारत में बरगद के वृक्ष को एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस वृक्ष को 'वट' के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सदाबहार पेड़ है, जो अपने प्ररोहों के लिए विश्वविख्यात है। इसकी जड़ें ज़मीन में क्षैतिज रूप में दूर-दूर तक फैलकर पसर जाती है। इसके पत्तों से दूध जैसा पदार्थ निकलता है। यह पेड़ 'त्रिमूर्ति' का प्रतीक है। इसकी छाल में विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव विराजते हैं। अग्निपुराण के अनुसार बरगद उत्सर्जन को दर्शाता है। इसीलिए संतान के लिए इच्छित लोग इसकी पूजा करते हैं। इस कारण से बरगद काटा नहीं जाता है। अकाल में इसके पत्ते जानवरों को खिलाए जाते हैं। अपनी विशेषताओं और लंबे जीवन के कारण इस वृक्ष को अनश्‍वर माना जाता है। इसीलिए इस वृक्ष को अक्षयवट भी कहा जाता है। लोक मान्यता है कि बरगद के एक पेड़ को काटे जाने पर प्रायश्चित के तौर पर एक बकरे की बलि देनी पड़ती है। वामनपुराण में वनस्पतियों की व्युत्पत्ति को लेकर एक कथा भी आती है। आश्विन मास में विष्णु की नाभि से जब कमल प्रकट हुआ, तब अन्य देवों से भी विभिन्न वृक्ष उत्पन्न हुए। उसी समय यक्षों के राजा 'मणिभद्र' से वट का वृक्ष उत्पन्न हुआ।

उपयोगिता 

- इसके पत्तों और जटाओं को पीसकर लेप लगाना त्वचा के लिए लाभकारी है .
- इसके दूध की कुछ बुँदे सरसों के तेल में मिलाकर कान में डालने से कान की फुंसी नष्ट हो जाती है .
- इसके पत्तों की राख को अलसी के तेल में मिला कर लगाने से सर के बाल उग आते है .
- इसके कोमल पत्तों को तेल में पकाकर लगाने से सभी केश के विकार दूर होते है .
- दांत के दर्द में इसका दूध लगाने से दर्द दूर हो जाता है और दुर्गन्ध दूर हो कर दांत ठीक हो जाता है और कीड़े नष्ट हो जाते है .यदि दांत निकालना हो तो इसका दूध लगाकर आसानी से दांत निकाला जा सकता है .
- बड़ की जटा और छाल का चूर्ण दन्त मंजन में इस्तेमाल किया जा सकता है .
- इसके दूध की - बूँद आँख में डालने से आँख का जाला कटता है .
- पत्तों पर घी लगा कर बाँधने से सुजन दूर हो जाती है .
- जले हुए स्थान पर इसके कोमल पत्तों को पीसकर दही में मिलाकर लगाने से शान्ति प्राप्त होती है .
- बड का दूध लगाने से यदि गाँठ पकने वाली नहीं है तो बैठ जाती है और यदि फूटने वाली है तो शीघ्र पक कर फूट जाती है . यही दूध लगाते रहने से गाँठ का घाव भी भर जाता है .
- अधिक देर पानी में रहने से त्वचा पर होने वाले घाव बड के दूध से ठीक हो जाते है .
- फोड़े फुंसियों पर पत्तों को गरम कर बाँधने से शीघ्र ही पक कर फूट जाते है .
- यदि घाव ऐसा हो जिसमे टाँके लगाने की ज़रुरत हो तो घाव का मुख मिलाकर बड के पत्ते को गरम कर घाव के ऊपर रख कर कस के पट्टी बाँध दे . दिन में घाव भर जाएगा . दिन तक पट्टी खोले नहीं .
- इसके पत्तों की भस्म में मोम और घी मिला कर मरहम बनता है जो घावो में लगाने से शीघ्र लाभ होता है .
- इसकी छाल को छाया में सुखाकर , इसके चूर्ण का सेवन मिश्री और गाय के दूध के साथ करने से स्मरण शक्ति बढती है .
- इसके फल बलवर्धक होते है .
- पुष्य नक्षत्र और शुक्ल पक्ष में लाये हुए कोमल पत्तों का चूर्ण का सेवन प्रातः सेवन करने से स्त्री अवश्य गर्भ धारण करती है .
- इसकी छाल और जटा के चूर्ण का काढा मधुमेह में लाभ देता है .
- इसके दूध को नाभि में लगाने से अतिसार ( डायरिया ) में लाभ होता है .
- छाल के काढ़े में गाय का घी और खांड मिला कर पीने से बादी बवासीर में लाभ होगा .
- जटा का चूर्ण लस्सी के साथ पीने से नकसीर में लाभ होता है .
- इसके दूध का लेप गंडमाल पर किया जाता है .
- इसके और कई प्रयोग है जो अन्य गंभीर रोगों में लाभ देते है पर कुशल वैद्य की देखरेख में ,उनकी सलाह से करने चाहिए

 यह पर्यावरण की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण है, इसकी जड़ें मिटटी को पकड़ के रखती है और पत्तियाँ हवा को शुद्ध करती है।  
                                       "बरगद का पेड़ लगाए और पर्यावरण बचाएं।"

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